दिल-ऐ-नादाँ तुझे हुआ क्या है ,
आखिर इस दर्द की दवा क्या है
हम हैं मुश्ताक और वो बेज़ार
या इलाही ये माज़रा क्या है
जब की तुझ बिन नहीं कोई मौजूद
फ़िर ये हंगामा ऐ खुदा क्या है
हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद,
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
जान तुम पर निसार करता हूँ,
मैं नहीं जानता दुआ क्या है
मैंने माना की कुछ नहीं ‘ग़ालिब’
मुफ्त हाथ आये तो बुरा क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है
हम हैं मुश्ताक और वो बेज़ार
या इलाही ये माज़रा क्या है
जब की तुझ बिन नहीं कोई मौजूद
फ़िर ये हंगामा ऐ खुदा क्या है
हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद,
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
जान तुम पर निसार करता हूँ,
मैं नहीं जानता दुआ क्या है
मैंने माना की कुछ नहीं ‘ग़ालिब’
मुफ्त हाथ आये तो बुरा क्या है
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